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हमारी दया और माया दोनों ही कैटेगराईज़्ड होती हैं.

हमारी दया और माया दोनों ही कैटेगराईज़्ड होती हैं. हमें पता ही नहीं होता कि जो हम बहुत अच्छी वृत्ति, कर्म, आदत  मान रहे हैं , वह भी हमारे किसी स्वार्थ के छिपे हुए छन्ने से छन-छना कर निकल रही है। जब कोई मुर्गा खा रहा है , अण्डे फोड़ रहा है कितना हिंसक प्राणी लगता है दुराचार लगता है अत्याचारी। दाल भात हम प्रसाद मानते हैं देव भोज्य, कितने अण्ड दाल के कितने चावल के कभी गिनती की है। लगता है पूरी बस्ती खा रहे है। गाय का दूध तो क्या कहने हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ खाद्य है। और हमें कैसे मिलता है ये , तुम्हारे सामने रोज पूरी थाली सजा कर लाकर रखी जाए और दो कौर खाते ही छीन ली जाए , और किसी और को तुम्हारे सामने ही खिला दी जाए और ये रोज ही होता रहे। जो हमारे लिए बैस्ट प्रोटीन है , वह समष्टि में किसी और को अलॉटेड है। लगता है बहुत अच्छी फीलिंग आ रही है, क्यों । तो क्या करें , भूखे ही मरें , अब ये मत कहना कि भूख डेली नयी डिमाण्ड वाला गली का गुण्डा है। और इस बारे में पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती। नैवेद्यं समर्पयामि।।
टीवी पे बहस के नाम पर लडैया भिडैया। सुनाने की कोई नहीं होती है, बस सुनाने की, वो भी गला फाड के । मुद्दा जैसे कोई किया शिकार बीच में पड़ा हो और दस जगह के लडैये इकट्ठे टूट पडे हों। संसद का नजारा घर घर पर। आप खुद को इटेलीजेन्ट समझो , भाई पर बाकियों को घासखाऊ न समझो. सब को मौका न दो न सही पर टीवी देखनेवालों को सुनने का मौका तो दो। लगता है प्रोग्राम वाले जूते बाहर ही उतरवा लेते हैं वरना जूतमपैजारी भी दिखा करती । क्या पता हो भी जाती होगी , कैमरा बन्द होते ही। 

बच्चे

बच्चे कम्प्यूटर प्रोसेसिंग यूनिट की तरह नहीं बल्कि सामने रखे आईने की तरह होते हैं। जो आप आदेश देते हैं उन्हे वो प्रोसेस नहीं करते । जो आप उन्हें दिखते हैं वही करते है। ये आईना है तुम्हारे करम का , हर भरम का । अगर आप किसी चीज को करने से रोकते है जो आप खुद करते हैं तो वो इसे नहीं करेंगे (सिर्फ आपके सामने )। (ये छिपा कर करना भी आप से ही सीखा है) हम सिखाने में इतनी रुचि लेते हैं कि बच्चों को लगभग मूर्ख ही मानने लगते हैं । हम ये पूरी तरह भूल जाते हैं कि ये हमारी ही योनि में जन्मा है। ये स्वभाव से ही उन्नत मानस है । उसे एक बेजान कम्प्यूटर की तरह नहीं आदेशित किया जा सकता । हम उसे भय सिखाते हैं , अक्षमता सिखाते हैं । पोलिसवाला पकड़ ले जायगा । बाहर भूत है। चॉकलेट खाने से पेट खराब हो जायेगा। इतनी मस्ती करेगा तो दाँत टूट जायेंगे । मम्मी की बात नहीं सुनेगा तो भगवान पनिशमेन्ट देगा। माँ तुम झूठ बोलती हो। पापा आप बहुत गन्दे हो। ये आप की किसी भी बात का, आदेश का , झल्लाहट का, फुसलाहट का कई तरह से अन्वेषण कर सकता है। तो हमें अपनी बाल वाक मञ्जूषा का अधिहरण करना होगा। क्यों कैसा लगा
पेड़ कटाई चल रही है विकास के कारण और पेड़ लगाएं जां रहे हैं।  जिनसे न तो छांव मिले न फल।  अब फल सिर्फ़ मण्डी में मिलते हैं जिनके भाव आसमान में मिलते हैं कोई पेड़ खुदा न खास्ता बढ़ ही गया तो बिजली वाले तलवारबाजी दिखा जाते हैं।