संदेश

महागठबन्धन

उसे  ढूंढो जिसने ये वर्ड निकाला है.  ये वर्ड में ही गड़बड़ है. लेफ्ट से चलो या राईट से, दोनों तरफ से इसमें बीच में गाँठ पड़ती ही है.  गलती किसी की नहीं है , गलती इस वर्ड की है . लोग बेकार  में बाहर के तत्वों की एनालेसिस करते फिर रहे हैं.  अरे, महागठबन्धन की सीधी हिन्दी करो तो सही,  इसका मतलब ही हैः बहुत बड़ी गठान सबसे पहले ये पता किया जाय कि इतना गठिया वर्ड ढूँढा किसने और किसलिए , लगता है इसका शुभमुहूर्त ठीक नहीं था.

hindustan ka aam admi: क्या हिन्दी को सरकारी धक्के की जरुरत है?

hindustan ka aam admi: क्या हिन्दी को सरकारी धक्के की जरुरत है? : क्या हिन्दी को सरकारी धक्के की जरुरत है? मीडिया रंगमञ्च के अधुना तत्वों से तो ऐसा लगता है , जैसे हिन्दी पालने में पड़ी रो रही है। पर क्या ...

झुण्ड मानसिकता

झुण्ड मानसिकता हमारे यहाँ ये बहुतायत में है. हम हवा का बहाव ढूँढते हैं. अपनी नाव उसी ओर मोड़ लेते हैं. बेल बाटम के ज़माने से चली आ रही ये नाव इसे कोई किनारा नहीं चाहिए इसे तो बस हवा का रुख बता दो, फिर भले ये गाने गाए तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार. खुजली क्वीन रुक नहीं सकती. कभी भेड़ों के बीच फँस के देखें. आप से ही घबरा के आप से ही घिसटेंगी. बहुत आसानी से दूर भाग सकती हैं. लेकिन ये होता है आपसी भाईचारा अपनापा झुण्ड कॉन्फिडेन्स इसमें सही गलत का प्रश्न नहीं होता बात साथ निभाने की है. पहले मजहव वाले और धर्म वाले फिर दलीय एकता कुछ देश बचाऊ कुछ नये झुण्ड जैसे टैक्स बचाऊ काला धन बचाऊ . आप कहीं भी यूँ ही ऊंगली उठा कर देखिए , अरे पीछे मुड़ कर देखिए , आप गौरवान्वित रोमान्चित महसूस करेंगे कि कितने लोग आपके साथ खड़े हैं. लगेगा जैसे पूरा भारत उठ खड़ा हुआ है आपकी ऊंगली के पीछे. भारत में अनेकता में एकता है 

योगा का योग

आइए योगा सीखें पहले तो आप चड्डी में आ जाएँ, ताकि शुरु से ही योगा की फीलिंग्स आने लगें.  फिर नेट पर दो चार ठौ अच्छे वाले योगा इंस्टीट्यूट्स पता कीजिए जिनकी रेप्यूटेशन और रेटिंग बड़ी हो. और आपको जनरल नॉलेज भी चिपक जाए कि आजकल कौन सा योगा ट्रेंडी है. हॉट योगा या सौना योगा. पता कीजिए कहीं फॉग तो नहीं चल रहा. ये पुराना हो गया हो सकता है अब फॉगा चल रहा हो. आजकल लेटेस्ट की ही डिमाण्ड है. नहीं लेटने की कोई जरुरत नहीं. अब तो खड़े वाले भी आ गये हैं. कैलिस्थेनिक्स मिक्स अरे क्या नहीं समझे . बचपन में कभी पीटी नहीं की क्या फिजिकल ट्रेनिंग, उसका नया अवतार मार्केट में उतर चुका है बग फिक्स 0.0.5 वर्जन. उसी को थोड़ा मिला के . क्या करें दीदी, आजकल हर कस्टमर नया डिजाइन मांगता है. पूरी रेन्ज रखनी पड़ती है.   डांस योगा का भी काफी लेटेस्ट ट्रेण्ड है. संगीत का हमारे कल्चर में बड़ा योगादाना है. पार्टी से लेकर पाखाने तक हम इसे कहीं भी अकेला नहीं छोड़ते वैसे भी जब तक थोड़ा हल्ला-गुल्ला मस्ती मज़ाक ना हो , मूड सेट नहीं होता.   सौना आपको पूरा खोल देगा सॉरी स्पैलिंग मिस्टेक आपके पोर खोल देगा. जब

हमारी दया और माया दोनों ही कैटेगराईज़्ड होती हैं.

हमारी दया और माया दोनों ही कैटेगराईज़्ड होती हैं. हमें पता ही नहीं होता कि जो हम बहुत अच्छी वृत्ति, कर्म, आदत  मान रहे हैं , वह भी हमारे किसी स्वार्थ के छिपे हुए छन्ने से छन-छना कर निकल रही है। जब कोई मुर्गा खा रहा है , अण्डे फोड़ रहा है कितना हिंसक प्राणी लगता है दुराचार लगता है अत्याचारी। दाल भात हम प्रसाद मानते हैं देव भोज्य, कितने अण्ड दाल के कितने चावल के कभी गिनती की है। लगता है पूरी बस्ती खा रहे है। गाय का दूध तो क्या कहने हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ खाद्य है। और हमें कैसे मिलता है ये , तुम्हारे सामने रोज पूरी थाली सजा कर लाकर रखी जाए और दो कौर खाते ही छीन ली जाए , और किसी और को तुम्हारे सामने ही खिला दी जाए और ये रोज ही होता रहे। जो हमारे लिए बैस्ट प्रोटीन है , वह समष्टि में किसी और को अलॉटेड है। लगता है बहुत अच्छी फीलिंग आ रही है, क्यों । तो क्या करें , भूखे ही मरें , अब ये मत कहना कि भूख डेली नयी डिमाण्ड वाला गली का गुण्डा है। और इस बारे में पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती। नैवेद्यं समर्पयामि।।
टीवी पे बहस के नाम पर लडैया भिडैया। सुनाने की कोई नहीं होती है, बस सुनाने की, वो भी गला फाड के । मुद्दा जैसे कोई किया शिकार बीच में पड़ा हो और दस जगह के लडैये इकट्ठे टूट पडे हों। संसद का नजारा घर घर पर। आप खुद को इटेलीजेन्ट समझो , भाई पर बाकियों को घासखाऊ न समझो. सब को मौका न दो न सही पर टीवी देखनेवालों को सुनने का मौका तो दो। लगता है प्रोग्राम वाले जूते बाहर ही उतरवा लेते हैं वरना जूतमपैजारी भी दिखा करती । क्या पता हो भी जाती होगी , कैमरा बन्द होते ही। 

बच्चे

बच्चे कम्प्यूटर प्रोसेसिंग यूनिट की तरह नहीं बल्कि सामने रखे आईने की तरह होते हैं। जो आप आदेश देते हैं उन्हे वो प्रोसेस नहीं करते । जो आप उन्हें दिखते हैं वही करते है। ये आईना है तुम्हारे करम का , हर भरम का । अगर आप किसी चीज को करने से रोकते है जो आप खुद करते हैं तो वो इसे नहीं करेंगे (सिर्फ आपके सामने )। (ये छिपा कर करना भी आप से ही सीखा है) हम सिखाने में इतनी रुचि लेते हैं कि बच्चों को लगभग मूर्ख ही मानने लगते हैं । हम ये पूरी तरह भूल जाते हैं कि ये हमारी ही योनि में जन्मा है। ये स्वभाव से ही उन्नत मानस है । उसे एक बेजान कम्प्यूटर की तरह नहीं आदेशित किया जा सकता । हम उसे भय सिखाते हैं , अक्षमता सिखाते हैं । पोलिसवाला पकड़ ले जायगा । बाहर भूत है। चॉकलेट खाने से पेट खराब हो जायेगा। इतनी मस्ती करेगा तो दाँत टूट जायेंगे । मम्मी की बात नहीं सुनेगा तो भगवान पनिशमेन्ट देगा। माँ तुम झूठ बोलती हो। पापा आप बहुत गन्दे हो। ये आप की किसी भी बात का, आदेश का , झल्लाहट का, फुसलाहट का कई तरह से अन्वेषण कर सकता है। तो हमें अपनी बाल वाक मञ्जूषा का अधिहरण करना होगा। क्यों कैसा लगा