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मई, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Kuch to gadbad hai…

                                Inspired by CID (special) अभिजीत संभाल के (अभी तुम बच्चे हो) दया तोड़ दो दरवाज़ा (सर्च वारन्त का कानून ख़तम हो गया है)( मुझसे तो नहीं टूटेगा) ज़हर (विदेश ब्राज़ील या अफ्रीका के जंगलों से) आत्मा वतमा का चक्कर गोल गोल घूम के फिर फिर आ जाता है  गन किसने चलायी ? मर्डर किसने किया ? सालुंखे  एक झुमका पड़ा मिला है मर्डर स्पोट पर . मुंबई की 137000 दुकानों पर जाकर पता करो ये किसने ख़रीदा है। जल्दी करो जल्दी .

kali billi

बिल्ली आम आदमी का रास्ता क्यों कटती है. पहले तो अपन सोचते थे के बिल्ली की वजह से पंचायत कड़ी होती है लेकिन बाद में समझ उजली के बिल्ली अपन को सिर्फ सावधान करती है के बेटे घर को निकल ले आज पंचायत फंसेगी .
आजकल कोर्ट  बाजी  बहुत चल रही  है. और कोर्ट बाजी मीडिया में बहुत फैसन में है . अपन को तो ये समझ नहीं आता की मीडिया को घटना के पहले ही कैसे पता चल जाता है की क्या होने वाला है और कौन मुजरिम है . कोर्ट को बाद में समझ आती है अपन को मीडिया पहले बता देते हैं बड़ी पंचायत हो गयी है . नहीं नहीं वो वाली नहीं सुप्रीम कोर्ट बड़ी पंचायत हो गयी है रोज की . सुबह उठो टीवी खोलो एक न एक पंचायत चालू मिलेगी *&^*&समझ नहीं आता के क्या करें आज राम है कल बलराम और परसों वही आदमी हराम हो जाता है . उसके बाद क्या कोर्ट चलती है और फिर पता नहीं चलता क्या हुआ . और फिर पर्दा गिर जाता है  फिर परदे के पीछे गेम चलता है . अपन हे राम हे राम करते है और हराम फिर से राम होकर निकलता है . बदमाश्गिरी की हर तरह को अब बड़े लोग राजनीती कहते हैं। ये कोर्ट बाजी शुरू होने के पहले शुरू होती है और गेम ख़तम हो जाने के बाद भी चालू रहती है। पहले तो गाँव के लोग पंचायत करते रहते थे अब बड़े बड़े पंचायती हो गए हैं .