आजकल कोर्ट बाजी बहुत चल रही है. और कोर्ट बाजी मीडिया में बहुत फैसन में है . अपन को तो ये समझ नहीं आता की मीडिया को घटना के पहले ही कैसे पता चल जाता है की क्या होने वाला है और कौन मुजरिम है . कोर्ट को बाद में समझ आती है अपन को मीडिया पहले बता देते हैं बड़ी पंचायत हो गयी है . नहीं नहीं वो वाली नहीं सुप्रीम कोर्ट बड़ी पंचायत हो गयी है रोज की . सुबह उठो टीवी खोलो एक न एक पंचायत चालू मिलेगी *&^*&समझ नहीं आता के क्या करें आज राम है कल बलराम और परसों वही आदमी हराम हो जाता है . उसके बाद क्या कोर्ट चलती है और फिर पता नहीं चलता क्या हुआ . और फिर पर्दा गिर जाता है फिर परदे के पीछे गेम चलता है . अपन हे राम हे राम करते है और हराम फिर से राम होकर निकलता है . बदमाश्गिरी की हर तरह को अब बड़े लोग राजनीती कहते हैं। ये कोर्ट बाजी शुरू होने के पहले शुरू होती है और गेम ख़तम हो जाने के बाद भी चालू रहती है। पहले तो गाँव के लोग पंचायत करते रहते थे अब बड़े बड़े पंचायती हो गए हैं .
महागठबन्धन
उसे ढूंढो जिसने ये वर्ड निकाला है. ये वर्ड में ही गड़बड़ है. लेफ्ट से चलो या राईट से, दोनों तरफ से इसमें बीच में गाँठ पड़ती ही है. गलती किसी की नहीं है , गलती इस वर्ड की है . लोग बेकार में बाहर के तत्वों की एनालेसिस करते फिर रहे हैं. अरे, महागठबन्धन की सीधी हिन्दी करो तो सही, इसका मतलब ही हैः बहुत बड़ी गठान सबसे पहले ये पता किया जाय कि इतना गठिया वर्ड ढूँढा किसने और किसलिए , लगता है इसका शुभमुहूर्त ठीक नहीं था.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें