दर्शन

कभी सुबह सुबह भजन माइक पर सारे मोहल्ले का मुफ्त अलारम . कभी सरे रात रतजगा. प्रसादी के चक्कर में हम भी घूम आते हैं . घंटी नहीं हो गयी बच्चो का खिलौना हो जैसे , बेटे तू भी बजा . गोदी में आजा अब बजा जोर के . अलग अलग लोग अलग अलग घंटी. कुछ ऐसे होते हैं कि जैसे भगवन कम सुनते हैं. दनादन बजायेंगे . भगवन तो ठीक आसपास के कुत्ते भी सकपकिया जाते हैं. कुछ एक बार टिन तो कोई तीन तक गिनते हैं. कोई अपना संगीत का हुनर दिखाना चाहते हैं. ताल और लय का पाठ पढ़ा देते हैं.
बड़े बड़े सौदे हो जाते हैं. भगवन मेरी ज़मीन का मामला निपटा दो बस मैं सोने का मुकुट बनवा दूंगा. मेरी प्रोमोशन रुक गयी है. मेरी कुर्सी बड़ी कर दे चार कुर्सियां यहाँ लगवा दूंगा. कतल में मेरी सजा कम करवा दो गुम्बद सोने का बनवा दूंगा.
औरते अपना अलग इमोशनल सीन बनाती हैं. भगवान दूध छोड़ दिया है , सफ़ेद चीज़ खाना छोड़ दिया है. पीला पहनना छोड़ दिया है. सोलह सोमवार कर रही हूँ, ग्यारह बुधवार कर रही हूँ. बस गुडिया कि शादी अच्छी जगह करवा दो. इनकी शराब कि आदत छुड़वा दो , उस कलमुही से दूर करवा दो. हमारा घर बनवा दो. कार छोटी पड़ती है . बच्चे बड़े हो गए हैं , बड़ी कार का योग बनवा दो. १०१ लड्डू चढ़ाऊँगी.
कई समाजसेवी टाइप भी होते हैं. रतजगा अरेंज करते हैं. माइक के साथ , न भगवन सो पाते हैं , न मोहल्ले वाले . अपन तो बस गोली अंटी और फ़िल्मी धुन वाले भजन आउट.गाने बजाने वाले उभरते कलाकारों के शौक भी पूरे हो जाते हैं. भंडारे वालों की तो महिमा अलग होती है. देखो भगवन मैं लोगों का ख्याल रख रहा हूँ तुम तो बस मेरा थोडा सा ध्यान रखा करो , बाकि सबको तो मैं निपटा लूँगा , ये अलग बात है कि पांत में आधे से ज्यादा तो इनके परिचित ही जीम जाते हैं. पार्टी स्टाइल में. कार से आते हैं फॅमिली सहित और प्रसादी पाते है और निकल लेते हैं.

टिप्पणियाँ

  1. आम आदमी की तरह आपने भी सौदा कर लिया वैतरणी से, सस्ते में भाव सागर पार करने के लिए. यही सब पाखंड चल रहा है इस देश में. परिश्रम कर आजीविका चलाने से मुक्ति के लिए भगवान को खोजा जेया रहा है. दुनिया काम कर रही है और आयेज बढ़ रही है और हम तुलनात्मक रूप में पीछे जा रहे हैं - भगवान के सहारे.

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  2. हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अगर समुदायिक चिट्ठाकारी में रूचि हो तो यहाँ पधारें http://www.janokti.blogspot.com . और पसंद आये तो हमारे समुदायिक चिट्ठे से जुड़ने के लिए मेल करें janokti@gmail.com
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    जयराम "विप्लव"
    Editor
    http://www.janokti.com/

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    1. dhanyawad ap jaise unche log dharti par padhare is liye aur apan jaise dharti wasiyon ka avlokan kiya is liye bhi

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    2. jo padh rahe hain sab am admi hin khas log to kamai me lage hai unko fursat kaha ha

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  3. narrated great expressions. wah! our culture

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