कौन कहता है भारत एक गरीब देश है

जिस देश में खेल खेल में हजारों करोड़ बहा दिए जाते हैं और फिर जाँच जाँच खेला जाता है, वो देश गरीब कैसे हो सकता है. अब मैं तो सोच रहा हूँ की इस जाँच के खेल में कितना पैसा खर्च होगा . इस वाले खेल में हमारे खिलाडी सबसे तगड़े हैं. इसलिए पैसा भी उसी तरह खर्चा होगा.
इस देश में ज्यादातर विधाएं मौखिक रही हैं. हम लिखी बांची में ज्यादा विश्वास नहीं करते इसलिए ये जाँच के खेल की भी विधि मौखिक रूप से सबकी जानकारी में है. कोई लिखा पढ़ी के नियम नहीं हैं.
पहले हल्ला होहल्ला मचाया जायेगा . फिर लम्बी खिंची जाएगी. लोग अपने काम धंदे में लग जायेंगे .जैसे ही पता चलेगा की लोग भूल भाल गए हैं. मामला उपरी लेवल पे बातचीत से ख़तम किया जायेगा . लोग आपस में घर में बार में चुप्पे चुप्पे में सुलह करेंगे . फिर जाँच की एजेंसियां बदली की जाएँगी. फिर बली का बकरा ढूंडा जायेगा .
लो अब ये मत पूछना की कित्ते पैसे खर्च होंगे. हजारों करोड़ बह के जहाँ जहाँ टिके हैं. सबकी प्राइवेट में निंदाई गुड़ाई की जाएगी. छान छून के गहरी छनेगी.
अब आगे की बात कोई बताने की है क्या. कोई काम धंदा नहीं है आपके पास. चलो अपनी देखो . बल बच्चों को टाइम दिया करो उनसे पूछो कितने रिकॉर्ड बने हैं इस बार.

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