JACK

जैक आजकल बहुत महत्वपूर्ण शब्द हो गया है. जैक के बिना कोई काम नहीं होता . ये हर जगह मौजूद है. नौकरी में , गैस कि टंकी में, नगर निगम में, कलेक्टर में सभी जगह , यहाँ तक कि भगवन के मंदिर में भी . अब मंदिर भी अलग अलग स्टेटस वाले होते हैं. कोई छोटा गुमटी नुमा , कोई जबरिया कब्जेधारी का पर्सनल , कोई बड़े नामधारी, कोई फेमस . जहाँ लाइन लगती है , उनके भी अलग अलग महिमा है. कोई दिन वाले है कोई रोज़ कि भीड़ वाले हैं. भीड़ वाले मंदिर में जैक लगाना पड़ता है. कोई ग़रीब भक्त अब सीधे सीधे भगवन से बात कर ले ये थोडा मुश्किल काम है. आपको धक्का पलेट दर्शन करना पड़ेंगे . कोई पुलिसिया टाइप वर्दी में आपको धकियायेगा आगे चलो और लोग भी हैं. के तुम्ही के लिए थोड़ी बैठे हैं. पर आप बहार लगी धार्मिक दुकानों कि दुकानदारी बढ़ा कर आइये . दस बीस रूपए के फूल , नारियल इत्यादि ले के आईये . तो एकाध मिनट खड़े होने आराम से मिल जायगा . फिर साथ में मिठाई वगैरह भी हो तो थोडा और भगवन से बात हो सकती है. अब आपको स्पेशल दर्शन करने हों तो फिर पुजारी के लिए भी कुछ चढावा ? और अगर फ्री फोकट के दर्शन करना हो तो उसके अलग जैक हैं. या तो आप कोई बड़े अधिकारी हैं. शहर के नामी गिरामी हों, आपका VIP कार्ड हो. तो आपको VIP दर्शन हो सकते हैं. या फिर आपके मेन पुजारी से अछे सम्बन्ध हैं तो भी डैरेक्ट एंट्री मिल सकती है. भगवन आपको पूरा समय देंगे. 
अपन तो भैय्या लाइन से बहार दूर खड़े हाथ जोड़ लेते हैं. अपनी तो कोई जैक वैक है नहीं. इसीलिए भगवन सुनते नहीं शायद. 

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