rat bhar gol

बंटी जरा देख के आ अंकल के यहाँ कि भी लाइट गयी है या अपनी ही गोल हो गयी. ये लाइट वाले भी चाहे जब लाइट काट देते हैं. इनका कोई भरोसा नहीं , जब मर्जी आये तब गोल कर देते हैं. कटौती कि घोषणा तो हुई नहीं थी कि हुई थी , हो सकता है हुई हो.
ले फ़ोन तो लगा जरा बिजली ऑफिस . ....
*#@& फ़ोन कभी उठाते ही नहीं हैं . उठाते क्या नहीं हैं , उठा के रख देते हैं साइड में . अब इतनी रात को कौन जायेगा बिजली ऑफिस , ऑफिस भी *#@& ने कहाँ पर बना रखा है , उनकी सड़क पर ही लाइट नहीं होती. अब आप क्या कर लोगे.

ये मचरों को भी कहाँ से पता चल जाता है  , चले आते हैं जुलुस ले कर . मेरा तो कुछ नहीं है बस गुड्डू को बुखार है इसलिए टेंशन होती है. पता नहीं कौन कौन से तो बुखार आ गए हैं नए नए नाम भी मालूम नहीं चलते . और तो और डॉक्टरों को भी पता नहीं कि ये *#@& बीमारी कौन सी है. टेस्ट करवा करवा के मरीज़ निपट जाता है. बुखार पता नहीं चलता कौन सा है.
गुड्डू बेटा रो रो के कान मत खा जाओ , बिजली मैंने नहीं काटी है  . लो इसको चुप कराओ नहीं तो चमाट नहीं पड़ जाय  इसमें . सर उठा लिया है रो रो के.
लो अब बिजली आती दिखती नहीं है. तुम तो लंगर लाओ . फसायें  और सोयें फालतू है वेट करना.

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