ek balti pani

आज सुबह फिर टंकर वाला गोल मर गया . अब अगली गली में जाकर collector ऑफिस वाले साहब के बंगले से मोटर का पानी खींचना पड़ेगा. दो घंटे कि तो लग गयी समझो , लाइन इतनी लम्बी होती है कि एकाध बाल्टी पानी मिल जाये तो गंगा नहाये समझो . और फिर साहब भी इस टाइम बिजी चलते हैं उन्हें ऑफिस टाइम से पहुंचना होता है.
आज बिट्टू को तो बिना नहाये ही स्कूल जाना पड़ेगा. धोने जितना पानी मिल जाये बहुत है , नहाने का क्या है. वैसे भी शेर कभी नहाते हैं क्या?
वो टंकर वाले का नंबर भी सामने भाभी के पास है , वो भी सुबह सुबह पता नहीं कहाँ घुमने चली गयी हैं. ये ही टाइम मिलता है लोगों को घूमने का. यहाँ पूरी पट्टी परेशान है . नगर निगम कौन जायेगा मगज पट्टी करने . नगर निगम वाले पहले तो भाव खाने में एक घंटा लगा देंगे फिर टंकर हमसे ही दूंध वाएंगे . और फिर वहां सुनता कौन है better है कि हम साहब से ही request कर लेंगे . वहां कोई बाबु मिल गया तो अभी पचीस पचास झटक लेगा .  

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