आजकल कोर्ट बाजी बहुत चल रही है. और कोर्ट बाजी मीडिया में बहुत फैसन में है . अपन को तो ये समझ नहीं आता की मीडिया को घटना के पहले ही कैसे पता चल जाता है की क्या होने वाला है और कौन मुजरिम है . कोर्ट को बाद में समझ आती है अपन को मीडिया पहले बता देते हैं बड़ी पंचायत हो गयी है . नहीं नहीं वो वाली नहीं सुप्रीम कोर्ट बड़ी पंचायत हो गयी है रोज की . सुबह उठो टीवी खोलो एक न एक पंचायत चालू मिलेगी *&^*&समझ नहीं आता के क्या करें आज राम है कल बलराम और परसों वही आदमी हराम हो जाता है . उसके बाद क्या कोर्ट चलती है और फिर पता नहीं चलता क्या हुआ . और फिर पर्दा गिर जाता है फिर परदे के पीछे गेम चलता है . अपन हे राम हे राम करते है और हराम फिर से राम होकर निकलता है . बदमाश्गिरी की हर तरह को अब बड़े लोग राजनीती कहते हैं। ये कोर्ट बाजी शुरू होने के पहले शुरू होती है और गेम ख़तम हो जाने के बाद भी चालू रहती है। पहले तो गाँव के लोग पंचायत करते रहते थे अब बड़े बड़े पंचायती हो गए हैं .
पानी
पानी पानी रे , तेरी माया अभी कुछ दिन पहले तक तरस रहे थे हलक सूख रहे थे अब बह रहे हैं अरे बर्तन भांडे तक बह रहे हैं ये बड़ी कॉलोनियों का पानी यहीं घुस आता है निकालते निकलते मुश्किल हो जाती है दिन तो ठीक है बहार इधर उधर बैठ बाठ लेते हैं रात में समझ नहीं अत किधर बिस्तर लगायें सुना है बड़े लोग बड़े प्लान बना रहे हैं की सारी नदियों को नहरों से जोड़ देंगे फिर सारा बारिश का पानी इकठ्ठा कर लेंगे . अच्छी प्लानिंग है भाई , जरा हमारी कालोनी की साइड भी एकाध छोटी मोटी
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