क्या हिन्दी को सरकारी धक्के की जरुरत है?

क्या हिन्दी को सरकारी धक्के की जरुरत है?
मीडिया रंगमञ्च के अधुना तत्वों से तो ऐसा लगता है , जैसे हिन्दी पालने में पड़ी रो रही है। पर क्या यही सच्चाई है
कुछ बातें और भी हैं
क्यों अंग्रेजी अभिवादन के बाद लोग हिन्दी पे आ जाते हैं
क्या हिन्दी अपनी बहनों से लड़ पड़ी है या उसकी लडाी अंग्रजी से है
कुछ फेसबुक प्रोफािल ढूढो जिस पर हिन्दी में कुछ न हो
कुछ घर ढूंढो जहाँ हिन्दी पेपर न डलता हो

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